अक्टूबर 21, 2009

कहीं दूर दृष्टि दोष से तो पीड़ित नहीं हैं राहुल?

रंजीत कुमार रंजन
आजकल राहुल गाँधी का दलित प्रेम और गरीब दर्शन सिर चढ़कर बोल रहा है। राहुल मीडिया में भी सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। दूसरी तरफ़ विरोधी दलों का पसीना छुट रहा है। लोग आनन-फानन में अनाप-शनाप बोल रहे हैं। सपा वाले लोग राहुल को राजनीति का बच्चा कह कर अपनी भौहें तैर रहे हैं तो भाजपा एवं बहन मायावती इसे नौटंकी कह रही है। लोग असल मुद्दों तक पहुँच हीं नहीं पा रहे हैं। बेचारे राहुल को कितना तकलीफ पहुँचता होगा कि कोई उनकी परेशानी जाने बिना हवा में बयानबाजी कर रहे हैं। कोई उनकी परेशानी समझने को तैयार नहीं, यूँ हीं लोग आलोचना करते जा रहे हैं। तारीफ की जानी चाहिए आरएसएस वालों का, देर हीं सही उनकी परेशानी को समझा और तारीफ कर डाली। अपनी सहानुभूति राहुल को दे दी।
विरोधी पार्टियों की एक आदत होती है। स्थिति का अध्ययन नहीं करती सीधे डायरेक्ट हो जाती है। देखिये! आरएसएस वालों ने अध्ययन किया। मैंने अध्ययन किया, पाया कि लगता है राहुल दूर दृष्टि दोष से पीड़ित हैं।
"दूर दृष्टि दोष" एक ऐसा डिसआर्डर है जिससे पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तु साफ-साफ देख सकता है लेकिन नज़दीक की वस्तु उसे नज़र नहीं आती।
राहुल आजकल भारत की खोज कर रहे हैं। जवाहर लाल नेहरू ने भी भारत की खोज से संबंधित "डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया" लिखा, शायद राहुल घर के इस पुस्तक को नही पढ़े और उच्च शिक्छा के लिए चले गए सात समंदर पार। उन्हें भारत का कोई विश्वविद्यालय नज़र नहीं आया, उन्हें नज़र आया होर्वार्ड यूंनिवर्सिटी, लन्दन। पढ़ाई पुरी करने के बाद उन्हें नज़र आया भारत। जुड़ गए अपने परिवार के खानदानी पेशे से। अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए। अमेठी से उन्हें अमेठी, रायबरेली, बस्ती, श्रीबस्ती का गरीबी , बेरोजगारी नज़र नहीं आया। उन्हें नज़र आई उडीसा में दलितों की स्थिति। चल दिए उडीसा, उनके दिल में उमड़ा दलित प्रेम, खाया दलितों के घर खाना, और बन गए मीडिया के हीरो। अब उनकी नज़र और सार्प हो चुकी थी। hyper metropia अपना जलवा दिखा रहा था। उडीसा से उन्हें नज़र आ रहा था उत्तरप्रदेश। उत्तरप्रदेश से उन्हें वहां के गरीबों-दलितों की स्थिति नज़र नही आती थी। उडीसा से नज़र आ गई। पहुँच गए यु०पी०, बिना प्रशाशनिक सूचना के, दलितों के घर खाए खाना और बिताये रात। मीडिया फिर सर-आंखों पर बिठाया। मायावती को भी लगा जोर का झटका धीरे से, सुरछा का हवाला देकर साधी निशाना, लेकिन फिर चुक गई असल मर्ज़ पकड़ने में। खैर राहुल यु० पी० से दिल्ली आते कि उनकी नज़र झारखण्ड पर गया। पहुँच गए झारखण्ड, शहीद इंसपेक्टर फ्रान्शिस के बहाने, युवाओं का दिल जीतने। लेकिन इस बार एक नई बात हो गई, झारखण्ड से उन्हें दिल्ली नज़र आ गई। दिल्ली से उन्हें दिल्ली कभी नज़र नही आई। झारखण्ड से नज़र आ गई। सो दिल्ली को खोजने वे निकल पड़े साइकिल से। विडम्बना देखिये, राहुल के सुरछाकर्मी महँगी गाड़ियों से और राहुल साइकिल से दिल्ली खोज कर रहे थे। ये नौटंकी नहीं तो और क्या है? मगर ठहरिये! इतनी जल्दी दोष मत दीजिये। अभी और भी बाते बाकी है।
जे० एन0 यु० में आयोजित एक सभा में राहुल गाँधी ने एक प्रश्न उठाया कि "क्या सभी राजनीतिक पार्टियाँ लोकतान्त्रिक है..? उनके जेहन में भाजपा, बसपा, सपा, शिवसेना, राजद, लोजपा, राकंपा.....रही होगी। उन्होंने कभी अपने गिरेबान में नहीं झाँका होगा। झाँका भी होगा तो कांग्रेस में परिवारवाद नज़र नहीं आया होगा उन्हें। दोष उनका नहीं है, क्या करे बेचारे दृष्टि दोष से पीड़ित जो हैं... उन्हें कैसे समझाया जाये के परिवारवाद के मसले पर सबसे पहले कांग्रेस का हीं ओवरवायलिंग की आवश्यकता है।
दूर दृष्टि दोष से राहुल पीड़ित हैं तो इसमें राहुल का क्या दोष है? कभी-कभी यह जेनेटिक भी होता है। जवाहरलाल नेहरु को भी यह दिसआर्डर था, तभी तो उन्हें अपनी पत्नी कमला नेहरु नज़र नहीं आती थी। उन्हें नज़र आती थी भारत के अंतिम गवर्नर जेनर लोर्ड माउन्टबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन। राजीव गाँधी को भी सबकुछ इटली में ही नज़र आता था। उसके बाद जो हुआ सबके सामने है. अब राहुल की बारी है. शादी की उम्र है, लेकिन उनकी नज़र में कोई भारतीये नहीं स्पेनिश लड़की है. इसमें भी राहुल का कोई दोष नहीं है, ऊपर वाले का दोष है, बेचारे पीड़ित जो हैं...अब स्थिति-परिस्थिति का अध्ययन कीजिये. कितना ख़राब लगता है जब लोग बीमार को बीमार कहते हैं, पागल को पागल कहते हैं, अँधा को अँधा कहते हैं.....सोचिये.....कितना खराब लगता होगा राहुल को जब लोग उनकी आलोचना करते होंगे. कितना दर्द होता होगा उनको? कोई तो होता जो उनकी परेशानी समझता? ओह.....बेचारे राहुल!
हाँ! भारत को खोजते-खोजते एक बदलाव आया है राहुल में, दलित-प्रेम करते-करते गरीब दर्शन करने लगे हैं। दृष्टि दोष के कारण हीं सही भारत खोज की नयी नौटंकी एवं गरीब दर्शन, दर्शन का नया शास्त्र अध्ययन करने का मौका मिल रहा है। मायावती जी आप भी उनकी परेशानी को समझिये और बोलिए जय हों राहुल बाबा की!
चलते-चलते.....
जिन्हें नींद में चलने की बीमारी है,
वे क्या जाने पग हल्का या भारी है
पैरों से मिटटी का गहरा नाता है,
इतनी समझ रहे तो फिर हितकारी है.

11 टिप्‍पणियां:

आमीन ने कहा…

मैंने अपने ब्लॉग पर आपके लिए कुछ डाला है

http://dunalee.blogspot.com/

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जय हो राहुल बाबा की ........... परदादा की राह पर ही तो चलेंगे ....... उज्जवल है उनका और देश का भविष्य .........

Unknown ने कहा…

राहुल बाबा की जय.....हो सकती है लेकिन भारत का जय नहीं होने वाला है.....जिसप्रकार युवा के नाम पर राहुल का समर्थन लोग कर रहे हैं उसी प्रकार का विस्वास लोग इंदिरा गाँधी पर भी किये थे. लेकिन मिला क्या इमर्जेंसी. राजीव गाँधी का उपलब्धि बोफोर्स....और क्या? राहुल पर विश्वास कर एक और धोखा खाने को तैयार रहें युवा......खुद को ठगने को तैयार रहें युवा.....

avi-pankaj ने कहा…

राहुल को दूर दृष्टि दोष.....
मज़ा आ गया पढ़कर........
जय हों राहुल बाबा की....

Unknown ने कहा…

ranjan jee aapne es lekh k dwara bahut hin gahri chot ki hai rahul ki nautanki par.lekin ek question hai ki kam se kam rahul gaon to ja rahe hain.....or neta to logon se milna tak pasand nahin karte......

बेनामी ने कहा…

ek aalekh ke liye lagata hai kaphi mehnat kee hai aapne.....rahul ki bimari thik ho jaye......yahi prarthana hai bhagwan se.....is desh ke liye.....jis prakar log rahul ka gungan kar rahe hain.....usase lagta hai log andhi daod pratiyogita me bhag le rahe hain...

Unknown ने कहा…

pura nahi....but bahut had tak sahmat hu apke vicharon se....

Unknown ने कहा…

doctor main par rahul ka bimari pakda tum......

Unknown ने कहा…

फिर से बोलिए जे हों राहुल बाबा की....

Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…

ranjan ji sach baat hai.mujhe kaiyn baar lagta hai ki hum loktantr nahi balki rajtantra mein reh tey hain jahan ki rani sonia aur yuvraj rahul hain...or hindostan inhi key isaron par chalta hai...