सितंबर 18, 2010

...ये जनता की अग्नि परीक्षा है!

रंजीत रंजन
पिछले दिनों संपन्न हुए एक सेमिनार के दौरान दिल्ली के एक मित्र ने मुझसे पूछा कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार की ही सरकार बनेगी? मैंने कहा: चुनाव की घोषणा तो हो चुकी है देखिये...होता क्या है? मेरे जवाब से उन्हें जरा भी संतुष्टि नहीं हुयी। जैसे वे सुनना चाहते थे 'हाँ! किसी भी हाल में सरकार राजग की ही बनेगी। जनता भारी बहुमत से नीतीश कुमार को फिर से सीएम बनाएगी'। इसमे कोई संदेह नहीं कि पूरे देश में बिहार के विकास और नीतीश कुमार की सुशासन की चर्चा हो रही है। ऐसे में लोगों को लग रहा है कि अगली सरकार भी नीतीश कुमार की ही बनेगी। नीतीश कुमार सत्ता में वापस आते हैं या नहीं ये तो २४ नवम्बर को ही पता चलेगा, जब चुनावी नतीजे हमारे सामने होंगे। लेकिन इतना साफ है कि इस बार बिहार में पहली बार विकास चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है। लालू प्रसाद ने भी कहा है कि १५ साल के शासन के दौरान उनसे गलतियां हुई हैं। गलतियों की स्वीकारोक्ति में ही नीतीश की सुशासन और विकास पर मुहर है। बावजूद इसके सभी राजनीतिक पार्टियाँ जातीय समीकरण पर ही जोर दे रही हैं। नीतीश कुमार का दागी आनंद मोहन, तस्लीमुद्दीन के घर जाना , पूर्व सांसद अरुण कुमार, निष्कासित सांसद जगदीश शर्मा तथा राज्यसभा सदस्य एजाज़ अली को पार्टी में वापस लेना इस बात का उदाहरण है कि सत्ता पक्ष विकास की बातें चाहे जितना के ले, उसे विकास के मुद्दे पर जीत का भरोसा नहीं है। कांग्रेस को आशा है कि नीतीश कुमार से खफा अगड़ी जातियों के वोट उसे मिलेंगे। दल-बदलूओं की जमात बनी बिहार कांग्रेस मृगतृष्णा का शिकार है। वहीं लालू खेमें की बात करें तो पूरा खेल जातीय समीकरण के बदौलत ही खेलने की तयारी है। लालू प्रसाद का 'माई' समीकरण में रामविलास पासवान की जाती का वोट जोड़ दिया जाये तो राजद+लोजपा गठबंधन राजग पर भारी पड़ता दिख रहा है। क्योंकि बिहार में इन जातियों के लोग विकास की बातें तो करते हैं लेकिन जब वोट देने की बारी आती है तो वे अपना नेता लालू प्रसाद और रामविलास पासवास को ही मानते हैं।
खैर...कौन पार्टी कितनी सीटें लेकर आएगी इसकी परीक्षा तो २१ अक्तूबर से २० नवम्बर तक होने वाली है। अगर राजग सत्ता में वापस आती है तो देश की जनता समझेगी बिहार की जनता ने विकास की बटन को दबाया है। और अगर राजग सत्ता से बाहर हुई तो कोई भी नेता विकास की बात करने की हिम्मत नहीं करेगा। इस चुनाव में न तो नीतीश कुमार की परीक्षा है, न लालू प्रसाद की और न ही रामविलास पासवान की! इस बार जनता की अग्नि परीक्षा है कि उसे विकास चाहिए या जातीय राजनीती या फिर से जंगल राज?

1 टिप्पणी:

avi-pankaj ने कहा…

sahi bat hai. janta ko gambhirta se vichar karna hoga. aap v yu hi vuchar karte rahiye or apne vicharon se hame awgat karate rahen.