दिसंबर 03, 2008

ऐसा देश है मेरा

ऐसा देश है मेरा
जहाँ
साध्वी प्रज्ञा को फसाया जाता है
और
आतंकवादी
अफज़ल को बचाया जाता है
ऐसा देश है मेरा
जहाँ
आतंकी घटना के बाद
देश के गृहमंत्री
दिनभर में
तीन सेट पोशाक बदलते हैं
और, उन्हें
जरा भी शर्म नही आती
ऐसा देश है मेरा
जहाँ
सरकार हिंदू आतंकवाद के नाम
तुस्टीकरण की राजनीती करती है
और ख़ुद
१०- जनपथ के इशारे पर नाचती है
ऐसा देश है मेरा।

नवंबर 29, 2008

गाँधी एक हीं था.

एक युवक,जो
बेटा है एक ऐसे घराने का
जिसके हाथो में रहती है
एक बड़े राजनीतिक दल की कमान
ख़ुद विदेशों में पढ़ाई करके
आता है भारत
और जुड़ता है
अपने परिवार के खानदानी पेशे से
निकल पड़ता है एक नया ढोंग रचने
भारत में ही भारत को खोजने
शायद,गाँधी बनने का ख्वाब है उसका
लेकिन उसे कौन समझाए
गाँधी एक हीं था
जो करता था

ट्रेन के तीसरे दर्जे में सफर
जिसे नहीं था मरने का डर
सिर्फ़ दलितों के घर खाना खा लेने से
कोई गाँधी नही हो जाता.