मार्च 21, 2016

प्राथमिक शिक्षा की स्थिति बदहाल, तो कैसे होगा भारत निर्माण?

हाल में आई विश्व बैक की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्राथमिक विद्यालय के 23.6 प्रतिशत शिक्षक स्कूल नहीं जाते हैं, जिससे देश को एक खरब 62 करोड़ रूपए का सलाना नुकसान हो रहा है। अध्ययन में भारत के ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। इससे पहले आई एक रिपार्ट के अनुसार भारत में 52 प्रतिशत बच्चे प्राथमिक शिक्षा के बाद विद्यालय छोड़ देते हैं यानी वे माध्यमिक शिक्षा के लिए नहीं जाते। अब सवाल यह है कि जब प्राथमिक शिक्षा की ही स्थिति ऐसी है तो फिर शिक्षा के अधिकार कानून का क्या होगा? 2020 या 2022 तक भारत को विकसित करने का सपना कैसे पूरा होगा? क्या हम इसी बदहाल शिक्षा व्यवस्था के भरोसे भारत निर्माण करेंगे।
बदहाल शिक्षा व्यवस्था के कारणों को समझने के लिए थोड़ी गहराई से चर्चा करनी होगी। आज प्राथमिक विद्यालयों में किसके बच्चे पढ़ रहे हैं और उन्हें कौन पढ़ा रहा है? इस सवाल के जवाब में ही बहुत कुछ छुपा हुआ है। अध्ययन से आप पाएंगे कि प्राथमिक विद्यालयों में आज आर्थिक रूप से बिल्कुल निचले पायदान क़े लोगों के बच्चे पढ़ रहे हैं, जो अपने बच्चों को किसी भी प्राइवेट विद्यालय में पढाने में सझम नहीं हैं, उनके बच्चे सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़तेे हैं। अब दूसरा सवाल, यहां पढ़ाता कौन है? क्या आपने कभी सुना है कि किसी युवक का सपना प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनना है? सुना भी होगा तो चंद लोगों के द्वारा, अमुमन किसी का सपना प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने का नहीं होता। जब वे कहीं के नहीं होते तो आधे-अधूरे मन से प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनते हैं। बस नौकरी करने और जींदगी गुजारने के लिए, उसमें उनका कोई शौक जुड़ा नहीं होता। जब स्कूल जाने वाले बच्चे और उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक, दोनों ही अधूरे मन से मजबूरी में विद्यालय जाते हों तो फिर विद्यालयों से उत्कृष्ट प्रदर्शन की उम्मीद कैसे की जा सकती है। 
कई विद्यालय हैं जहां कुछ शिक्षक बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन मध्याह्न भोजन और फेल न करने के नियम आने के बाद बच्चों में पढ़ाई के प्रति लगाव कम हुआ है। शिक्षक भी कभी खिचड़ी के हिसाब में तो कभी चुनाव, आदमी, भेड़-बकरी गिनने जैसे सरकारी कामों में उलझे रहते हैं, जिसका प्रभाव प्राथमिक शिक्षा पर पड़ा है।
2011 के जनगणना के अनुसार भारत में 25.2 प्रतिशत बच्चे ही प्राथमिक विद्यालय जा पाते हैं। मात्र 15.7 प्रतिशत बच्चे माध्यमिक शिक्षा के लिए जाते हैं और 11.1 प्रतिशत मैट्रिक करते हैं। जब प्राथमिक शिक्षा का ही ये हाल है तो समझ सकते हैं उच्च शिक्षा की स्थिति क्या होगी। ब्रिटिश काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 में पढ़ाई करनेवाले उम्र के सबसे ज्यादा लोग भारत के ही होंगे। क्वांटिटी में तो भारत आगे होगा लेकिन क्वालिटी में सुधार किए बगैर भारत निर्माण और शिक्षित भारत का सपना अधूरा ही रहेगा। 

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